जसबीर सिंह गढ़ी ने अनुसूचित जाति समुदाय को कांग्रेस और आप पार्टी के मंसूबों से सावधान रहने की चेतावनी दी

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कहा कि कांग्रेस बहुजन समितियों का गठन करने के बहाने दलित समुदाय को लुभाने की कोशिश कर रहे, भल ही उसने अंबेडकर और कांशीराम का विरोध किया

कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार दलित विरोधी, अदालत में दलितों को आरक्षण देने का विरोध किया था

जालंधर/06मई: पंजाब बहुजन समाज पार्टी के अध्यक्ष जसबीर सिंह गढ़ी ने आज दलितों से कांग्रेस पार्टी के मंसूबों से सावधान रहने की अपील की, जो बहुजन समितियों का गठन करके उन्हे लुभाने की कोशिश कर रही है, जबकि उसने दलित आईकन- बाबा साहेब अंबेडकर और कांशीराम का विरेाध किया था।

यहां एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पंजाब बसपा के अध्यक्ष जसबीर सिंह गढ़ी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने लगातरा अंबेडकर के खिलाफ साजिश रची और अनुसूचित जातियों को विशेष अधिकार देने से इंकार करने के लिए जी जान से लड़ाई लड़ी थी, जिसके लिए दलित आइकन ने अपना पूरा जीवन संघर्ष किया।

श्री गढ़ी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 1946 में खुले तौर पर कहा था कि वह बाबा साहेब को भारत में कही भी निर्वाचित नही होने देगी और अंबेडकर को बंगाल से चुनाव लड़ने के लिए मजबूर करेगी, जो उन्होने जीता था। उन्होने कहा, ‘‘ इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने बाबा साहेब के निजी सहायक को उनके खिलाफ खड़ा कर महान नेता की हार सुनिश्चित की’’।

श्री गढ़ी ने कहा कि इसी तरह 2006 में जब बाबू कांशी रमा का निधन हुआ, तब कांग्रेस पार्टी केंद्र और राज्य दोनों जगह सत्ता में थी, इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी ने महान आत्मा का एक दिना का भी शोक नही मनाया’’।

कांग्रेस पार्टी के बारे में बोलते हुए श्री गढ़ी ने कहा कि 2022 के चुनावों में पार्टी की हार के बाद, इसके पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने यह कहकर दलितों का अपमान किया कि समुदाय का एक प्रतिनिधि राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए उपयुक्त नही है।

उन्होने कहा कि ‘‘वही कांग्रेस दलितों कोे लुभाने के लिए बहुजन समितियों के गठन की कोशिश कर रही है। उन्होने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी कह रही है कि चुनाव अकाली दल के चुनाव चिन्ह पर लड़ा जा रहा है, बसपा के नही। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि शिअद-बसपा गठबंधन न केवल चुनाव के लिए बल्कि भविष्य के लिए भी है’’।

पंजाब बसपा के नेता ने आम आदमी पार्टी सरकार के दलित विरोधी रवैये की भी निंदा की। उन्होने कहा कि आप पार्टी की सरकार ने 178 कानून अधिकारियों के लिए पदों का विज्ञापन करते समय अनुसूचित जाति की अनदेखी की।

उन्होने कहा ,‘‘ सरकार ने अदालत में स्वीकार किया कि उसने अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को कोई आरक्षण नही दिया, क्योंकि वह नौकरी के लिए मानसिक रूप से उपयुक्त नही हैं’’। उन्होने कहा कि आप सरकार ने अनुसूचित जाति आयोग की ताकत को भी आधा कर दिया है और अभी भी पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के मुकाबले अनुसूचित जाति के छात्रों के साथ भेदभाव कर रही है।

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